Umga sun temple umga aurangabad उमगा सूर्य मंदिर उमगा औरंगाबाद

Umga sun temple aurangabad bihar
Umga sun temple उमगा सूर्य मंदिर
बिहार के औरंगाबाद वास्तव में कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है जिन्हें सायद उतना लोगो तक प्रसार नही किया गया जितना जरूरी थी। औरंगाबाद में ऐसे कई धार्मिक स्थल है जहाँ सालो भर यहाँ सर्द्धालु मन्नत लेके आते है या घूमने आते है जैसे काफी ऐतिहासिक देव सूर्य मंदिर या देवकुण्ड धाम या मुस्लिम धर्म के मानने वालों अमझर शरीफ में बाबा सैयदना दादा का मजार। ये सब धार्मिक स्थलों को कोई पहचान की जरूरत नही है। 

मगर इन्ही में से प्राचीन उमगा में सूर्य मंदिर भी है जो सायद ही काफी लोगो को मालूम होगा। अधिकतर लोग इस मंदिर का प्राचीन इतिहास नही जानते है साथ ही इस मंदिर की किया खासियत है इससे भी अपडेट नही है तो आइए जानते है इस प्राचीन सूर्य मंदिर के बारे में ।

दरसल ये प्राचीन सूर्य मंदिर जो उमगा में है औरंगाबाद  जिला मुख्‍यालय से 27 कि0‍मी0 की दूरी पर अवस्थित है और  ग्रैण्‍ड ट्रंक रोड जिसे अधिकतर लोग( जीटी रोड के नाम से भी जानते है) से 1.5 कि0मी0 दक्षिण की ओर एवं देव सूर्य मंदिर से से 12कि0मी0 की दूरी पर स्थित है जो कि औरंगाबाद जिले और  बिहार राज्य की सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण पुरातात्विक धरोहरों में से एक है।

वैसे बताना चाहूंगा कि  19वीं एवं 20वीं शताब्‍दी के प्रायः सभी नामचिन पुरातत्ववेताओं ने यहॉ के मंदिर श्रृंखलाओं का दौर किया था और सर्वेक्षण भी किया तथा उसे अपने सर्वेक्षण प्रतिवेदन में महत्‍वपूर्ण स्‍थान दिया है  आपको मालूम है  मेजर किट्टो ने सन् 1847ई0 श्री कनिंघम ने 1876ई0 जे0डी0 बेगलर ने 1872 ई0 ब्‍लॉच ने 1902 ई0 में इसका पुरातात्‍विक सर्वेक्षण किया तथा इसे अपने सर्वेक्षण प्रतिवेदनों में महत्‍वपूर्ण स्‍थान दिया था। परंतु इतने सर्वेक्षण के बावजूद भी ये प्रसिद्ध मंदिर नेताओं के उपेक्षा का शिकार है। हालांकि बिहार के वर्तमान में मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने इस प्राचीन धरोहर में  यात्रा किया था और यहां आकर माना था कि मदनपुर ब्लॉक के उमगा पर्यटकों के लिये अच्छी जगह है। यहां के पहाड़ियों में ऐसी  हरियाली है  की सब की मन मोह सकता है। और उन्होंने वादा किया था की उमगा को धार्मिक पर्यटकों की सूची में जल्द ही सामिल कर लिया जाएगा।

वैसे उमगा जगह काफी पहाड़ियों वाला है उमगा  के  पहाड़ियों पर कई मंदिर एवं मंदिरों के अवशेष मिलाकर मंदिर ऋखला है इसकी पश्चिमी ढलान पर पूर्वाभिमुख वृहद मंदिर है जो देव मंदिर के ही समरूप है (इसकी लम्‍बाई 68.60फीट x 53 फीट एवं उचॉई 60 फीट) गर्भगृह के अतिरिक्‍त यहॉ भी मण्‍डप है जो सुडौल एकाश्‍मक स्‍तम्‍भों के सहारे है।  मंदिर में आप जैसे ही प्रवेश आप करेंगे तो  प्रवेश करने के बाद द्वार के बांयी तरफ एक शिवलिंग एवं भगवान गणेश की मूर्ति भी है। गर्भगृह में भगवान सूर्य की मूर्ति है मंदिर के दाहिने तरफ एक वृहद शिलालेख है सभी मूर्तियां एवं शिलालेख काले पत्‍थर से बने है जो पालका‍लीन मूर्ति कला के उत्कृष्‍ट नमूने है मेजर किट्टो जो यहां भारतीय पुरातत्व विभाग के टीम में पहले व्यक्ति थे जो यहां अध्ययन करने को आये थे उन्होंने यहॉ के शिलालेख का काफी गहराई से  अध्‍ययन किया था काफी अध्यन करने के बाद उसका अनुवाद अपने सर्वेक्षण प्रतिवेदन में दिया है


मेजर किट्टो के अध्ययन के अनुसार
 इस अभिलेख में उमगा के स्‍थानीय शासकप्रमुख की वंशावली है जो अपने को चन्‍द्रवंशी यां सोमवंशी कहते थे इस वंशावली की शुरूआत भूमिपास से प्रारम्‍भ होकर भैरवेन्‍द्र तक आती थी। मंदिर की स्थापना किस ने की ऐसे में कई लोग ने अलग अलग रे देते है लेकि पुरातत्व विभाग के अनुसार  राजा भैरवेन्‍द्र ने ही इस मंदिर की स्‍थापना की थी इनके द्वारा मंदिर में कृष्‍ण बलभद्र एवं सुभद्रा की मूर्तियां स्‍थापित करने का उल्‍लेख है

इस मुख्‍य मंदिर के अतिरिक्‍त उमगा पहाड पर कई मंदिर जिनमें प्रमुख सहस्‍त्र शिवलिंग एवं ध्‍वंस शिवमंदिर है उमगा पहाड की श्रृंखालाओं पर मंदिर  निर्माण  की कला एवं तकनीक का भी अध्‍ययन किया जा सकता है उमगा के मंदिरों का निर्माण यहॉ के स्‍थानीय पत्‍थरों से ही किया गया था।



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