जिला में खुला पहला लाइट का कारखाना जिसमे काम सिर्फ महिलाओं को ही मिलेगा


आईआईटी मुंबई की तकनीक से कराया जा रहा निर्माण प्रतिनिधि : अंबा आईआईटी मुंबई की तकनीक से कुडंबा में स्टडी लैंप का निर्माण शुरू किया गया है . शनिवार को बीडीओ लोकप्रकाश , सीओ अनिल कुमार , जीविका के बीपीएम योगेंद्र कुमार अबष्ट व मुखिया कुमारी सावित्री सिंह ने संयुक्त रूप से निर्माण सेंटर का उद्घाटन किया बीडीओ ने कहा कि भारत सरकार के नवीनीकरण ऊर्जा मंत्रालय व आईआईटी मुंबई के द्वारा लैंप का निर्माण कराया जा रहा है . इसमें जीविका से जुड़ी महिलाओं को लगाया गया है . उन्होंने कहा कि लैंप सरकारी संस्थानों में पढ़नेवाली छात्राओं को अनुदानित दर पर दिया जायेगा . बीपीएम ने कहा कि बच्चों की पढ़ाई के लिए यह लैंप कारगर साबित होगा . निर्माण का जिम्मा जय बजरंग महिला संगठन की महिलाओं को दिया गया है . इस मौके पर सेंटर इंचार्ज रश्मि कुमारी डाटाइंट्री ऑपरेटर राजू रंजन हेडमास्टर चंद्रशेखर प्रसाद साहू मुखिया प्रतिनिधि विनोद मेहता , बीआरपी अवधेश प्रसाद , मंसूर आलम वार्ड सदस्य बैजनाथ मेहता समेत जीविका समूह से जुड़ी महिलाएं थीं . 

लगातार पांच घंटे तक जलने की है क्षमता स्टडी लैंप की विशेषता बताते हुए टेक्निकल असिस्टेंट नीरज तिवारी ने कहा कि लैप में सोलर प्लेट लगा हुआ है . एक बार चार्ज होने पर यह चार से पांच घंटे तक जल सकता है . इसके लिए अलग से बैट्री व चार्जर लगाने की जरूरत नहीं है . पांच से छह घंटा धूप में रखने से लैप पूरी तरह चार्ज होगा . उन्होंने कहा कि कि केंद्र सरकार के सौर्य ऊर्जा मंत्रालय व बिहार के जीविका समूह के द्वारा यह योजना तय की गयी . जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं आईआईटी मुंबई की तकनीक से इसका निर्माण करेंगी . हों मात्र 100 रुपये टेक्नीकल असिस्टेंट ने बताया कि स्टडी लैंप के निर्माण में 700 रुपये खर्च है , पर बच्चों से मात्र 100 रुपये लिया जायेगा शेष 600 रुपये नवीनीकरण ऊर्जा मंत्रालय वहन करेगा . इस योजना के तहत बच्चों को सस्ते दर पर लैंप उपलब्ध होने से सहूलियत होगी . 800 रुपये देगी सरकार , बच्चों को देने 

40 हजार लैंप बना कट स्कूली बच्चों में वितरण का लक्ष्य जीविका समूह की महिलाओं द्वारा 40 हजार लैंप निर्माण कराने का लक्ष्य रखा गया है . कम्यूनिकेशन मैनेजर राजीव रंजन ने कहा कि इस कार्य में सहायता समूह से जुड़ी 33 महिलाओं को लगाया गया है . लैंप बनाने से लेकर इसे स्कूलों में जाकर बेचने तक का जिम्मा महिलाओं को ही दिया गया है . 2 महिलाएं लैंप का निर्माण करेगी तथा 21 महिलाएं गांव के स्कूलों में जाकर बेचेंगी . काम से जुड़ी महिलाओं को इसके लिए पारिश्रमिक दिया जायेगा लैंप निर्माण के लिए महिलाओं को 12रुपये दिया जाना है स्कूल में जाकर बच्चों के बीच बेचने पर उन्हें 12 रुपये प्रति लैंप के दर से दिया जायेगा . इसके अतिरिक्त बेचनेवाली महिलाओं को पांच रुपये यात्राभता के रूप में दिया जायेगा यदि समूह से जुड़ी महिलाएं एक लैंप बेचती हैं , तो उन्हें 17 रुपये मिलेंगे लैंप में किसी तरह की तकनीकी खराबी होने पर अगस्त 2019 तक इसकी मरम्मत कंपनी द्वारा किया जायेगा . 

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